Sunday, February 14, 2010

bheje tere labon ko kuch tohfe khushbuon ke...


लफ़्ज़ों के फूल दिल के लिफाफे में बंद करके,
भेजे तेरे लबों कुछ तोहफे खुशबुओं के.

तारों से टका आसमान का रेशमी एक आँचल,
प्यासी किसी बदली की आँखों में घुलता काजल.
अल्हड अदा के घुँघरू पिरोये हवा की पायल.
और कलियों पर अंगडाइयां लेते महक के झोंके.
भेजे तेरे लबों को...

अरमानो की एक चादर,ख़्वाबों का एक सिरहाना
छत पर थिरकती धुप का छेड़ा हुआ तराना,
तुम्हे रात भर तकने का कोई नया बहाना
कुछ गुदगुदाते किस्से पुराने खंडहर के.
भेजे तेरे लबों को..

तुम्हारे माथे के लिए सूरज का सुर्ख टीका,
कानो पे लहलहाता एक शोर पत्तियों का,
चंदा से गुंथे गजरे,लिबास चांदनी का.
आहट को तेरी तकते,ये साज़ धडकनों के.
भेजे तेरे लबों को कुछ तोहफे खुशबुओं के.