Sunday, October 17, 2010

tu hai zameen pe to falaq sajaaye baitha kaun hai...


तू है ज़मीन पे तो फलक सजाये बैठा कौन है ,
,नूर बनकर ज़ेहन की गलियों में बहता कौन है.
लोग कहते हैं बशर मर के ही पाता है खुदा .
तो जिसका हो चुका हूँ जीते-जी वो खुदा कौन है.

किसकी तस्वीर है जो पलकों में उलझती है..
किसकी आवाज़ है जो कानो पे थिरकती है.
किसकी खुशबू है जो घुल गयी है साँसों में.
किसका एहसास है है जो जम गया है बाहों में .
किसके होंठों के लिए शायरी पिरोते हैं,
किसकी आहट की चादरें लपेट सोते हैं.
तुम्ही तो हो जिसकी ख़्वाबों से अपने यारी है,
सुबह से शाम ख्यालों में और होता कौन है.
तू है ज़मीन पे तो फलक सजाये बैठा कौन है....

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