रब की इनायतों की इतनी सी कहानी हो,
हर शाम तुझे देखूँ,हर रात सुहानी हो.
मैं श्याम बनके तेरी,धड़कन की लय पे थिरकूँ,
तू बनके मीरा मेरी ही धुन में दीवानी हो.
तेरे रुख पे पड़ी दर्द की चिंगारियां बुझा दूँ,
पलकों पे अपनी रख लूँ,गर आँख में पानी हो.
न फिक्र हो जहाँ की,न वास्ता किसी से,
एक दुसरे में खोकर ,बस उम्र बितानी हो.
तेरी रूह में घुल जाऊं,जाते हुए जहाँ से,
मेरे गीतों की तेरे लब पे,कायम यूँ निशानी हो.
इन बंदिशों के आगे,झुक जायें सारे वादे,
हमें आशिकी की ऐसी कीमत न चुकानी हो.
रब की इनायतों की इतनी सी कहानी हो,
हर शाम तुझे देखूँ,हर रात सुहानी हो.
मैं श्याम बनके तेरी,धड़कन की लय पे थिरकूँ,
तू बनके मीरा मेरी ही धुन में दीवानी हो.
तेरे रुख पे पड़ी दर्द की चिंगारियां बुझा दूँ,
पलकों पे अपनी रख लूँ,गर आँख में पानी हो.
न फिक्र हो जहाँ की,न वास्ता किसी से,
एक दुसरे में खोकर ,बस उम्र बितानी हो.
तेरी रूह में घुल जाऊं,जाते हुए जहाँ से,
मेरे गीतों की तेरे लब पे,कायम यूँ निशानी हो.
इन बंदिशों के आगे,झुक जायें सारे वादे,
हमें आशिकी की ऐसी कीमत न चुकानी हो.
रब की इनायतों की इतनी सी कहानी हो,
हर शाम तुझे देखूँ,हर रात सुहानी हो.
न फिक्र हो जहाँ की,न वास्ता किसी से,
ReplyDeleteएक दुसरे में खोकर ,बस उम्र बितानी हो.
aye hye kya baat hai...
shukriya dost :)
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